"एक समाज, जो संतों के विचारों से प्रेरित हो, वो कभी टूटा नहीं करता।"राजेन्द्र प्रसाद सेवा संस्थान अपने स्थापना काल से ही यह मानता रहा है कि शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ संस्कृति का संरक्षण भी समाज के विकास की आधारशिला है। इसी दृष्टिकोण से संस्थान द्वारा संत नामदेव जी पुण्यतिथि समारोह का आयोजन किया गया — ताकि नई पीढ़ी को भारतीय संत परंपरा, भक्ति आंदोलन और समाज सुधार के मूल्यों से जोड़ा जा सके।
13वीं शताब्दी के महान संत संत नामदेव जी न केवल एक भक्त कवि थे, बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी भी थे जिन्होंने जात-पात, भेदभाव और धार्मिक आडंबरों का खुला विरोध किया।
उनका यह सन्देश –
“हर इंसान में ईश्वर है, और भक्ति का रास्ता सभी के लिए खुला है।”
आज के सामाजिक ढांचे में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना तब था।
उनके पद आज गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा हैं और उनकी वाणी आज भी आत्मा को जाग्रत करती है।
राजेन्द्र प्रसाद सेवा संस्थान का मूल उद्देश्य केवल शिक्षा देना नहीं, बल्कि संस्कार निर्माण करना है।
संस्थान जिन उद्देश्यों पर काम कर रहा है:
संत नामदेव जी जैसे संतों की पुण्यतिथि का आयोजन इन सभी उद्देश्यों को जीवंत रूप देने का सशक्त माध्यम है।
जिसमें बच्चों ने संत नामदेव जी के जीवन, सामान्य ज्ञान और सांस्कृतिक मूल्यों से जुड़े प्रश्नों में भाग लिया। इससे बच्चों में अध्ययन, जिज्ञासा और आत्मविश्वास का विकास हुआ।
स्थानीय कलाकारों व विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत भक्ति नृत्य, नामदेव जी पर आधारित नाट्य मंचन, और भजन गायन ने माहौल को आध्यात्मिक बना दिया। कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से यह सिद्ध किया कि लोक कला ही लोक चेतना का माध्यम है।
विशेष रूप से आमंत्रित Resource Person श्री [नाम] जी (सामाजिक चिंतक एवं इतिहासविद) ने कहा:
“यदि हमें भारत को जोड़ना है, तो संतों की वाणी को जन-जन तक पहुँचाना होगा। संत नामदेव जी का जीवन सिखाता है कि बिना तलवार उठाए भी सामाजिक परिवर्तन किया जा सकता है।”
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री नरेंद्र राय जी (चेयरमैन, चीनी मिल) एवं विशिष्ट अतिथि श्री अमर राय जी (उपाध्यक्ष, भाजपा – संत कबीर नगर) ने समाज के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता को सराहा और कहा कि:
“राजेन्द्र प्रसाद सेवा संस्थान जिस तरह से शिक्षा और संस्कृति को साथ लेकर चल रहा है, वह सराहनीय और अनुकरणीय है।”
आज के बदलते सामाजिक परिवेश में, जब आधुनिकता की दौड़ में हमारी नई पीढ़ी अपनी संस्कृतिक जड़ों से दूर होती जा रही है, ऐसे आयोजनों की महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है। संत नामदेव जी जैसे महापुरुषों की शिक्षाएँ केवल भक्ति या धर्म तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे हमें नैतिकता, समानता और सेवा जैसे सार्वभौमिक मूल्यों की ओर ले जाती हैं। ऐसे आयोजन युवाओं और बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा का जीवंत माध्यम बनते हैं, जहाँ वे किताबों से नहीं, बल्कि अनुभव और प्रस्तुति के माध्यम से सीखते हैं कि समाज के प्रति उनकी क्या जिम्मेदारी है।इस तरह के समारोह सामाजिक समरसता और एकता को बढ़ावा देते हैं, जहाँ हर वर्ग, हर समुदाय एक साथ बैठकर संतों के विचारों पर चिंतन करता है। साथ ही, यह मंच स्थानीय कलाकारों और प्रतिभाओं को अपनी कला और संस्कृति को प्रस्तुत करने का एक सशक्त अवसर देता है, जो अन्यथा उपेक्षित रह जाती हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात, ऐसे कार्यक्रम हमें यह स्मरण कराते हैं कि हमारे महापुरुषों के विचार केवल इतिहास की बातें नहीं, बल्कि आज के समाज के लिए मार्गदर्शक हैं – जिन्हें अपनाकर हम एक बेहतर, समरस और जागरूक राष्ट्र की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
कार्यक्रम के अंत में संस्थान के सचिव श्री प्रबिन्द्र राय जी ने सभी आगंतुकों, अतिथियों, प्रतिभागियों, और स्वयंसेवकों का धन्यवाद करते हुए कहा:
“राजेन्द्र प्रसाद सेवा संस्थान न केवल शिक्षा, बल्कि संस्कृति, कौशल और नैतिक मूल्यों को समाज तक पहुँचाने में प्रतिबद्ध है। यह आयोजन उसी दिशा में एक छोटा किंतु महत्वपूर्ण प्रयास है।”